इंदौरी पहलवान सन्नी जाधव ने अखिल भारतीय विश्वविद्यालय  कुश्ती चैंपियनशिप में जीता रजत पदक

सार: गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के खेल निदेशालय द्वारा आयोजित अखिल भारतीय अंतर्विश्वविद्यालय कुश्ती फ्री स्टाइल और ग्रीको रोमन पुरुष चैम्पियनशिप बृहस्पतिवार से शुरु हो गई है । चैम्पियनशिप में 140 विश्वविद्यालयों के 1500 खिलाड़ीयो ने भाग लिया हैं।


प्रतियोगिता के तीसरे दिन 60 किलोग्राम ग्रीको रोमन वर्ग में बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल (एम पी) के सन्नी जाधव ने रजत पदक जीता । पदक जीतने पर सन्नी  जाधव ने इसका श्रेय कोच वेद प्रकाश जावला व कृपाशंकर बिश्नोई को दिया ।  मालूम हो की सन्नी इंदौर स्थित मल्हार आश्रम कुश्ती केंद्र पर वेदप्रकाश व कृपाशंकर कोच से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं । कोच कृपाशंकर ने बताया कि फाइनल से पहले तक के सभी मुकाबले सन्नी जाधव ने  तकरीबन तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर ही समाप्त किये है  हालांकि फाइनल में वह जीत का सिलसिला बरकरार नहीं रख सके व फाइनल के संघर्षपूर्ण मुकाबले में उन्हें पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला के विकास कुमार से 16 -12 नजदीकी अंको से पराजय का सामना करना पड़ा । जहां सन्नी जाधव को रजत पदक से संतोष करना पड़ा ।


सन्नी जाधव ने अपने पहले मुकाबले में कमलेश यादव फैजाबाद यूनिवर्सिटी उत्तर प्रदेश के पहलवान को 8 - 0 अंको की तकनीकी श्रेष्ठता से पराजित किया दूसरे मुकाबले के दौरान सन्नी ने बेहतरीन कुश्ती कौशल का प्रदर्शन जारी रखा व सोलापुर यूनिवर्सिटी महाराष्ट्र के चवण कुबेर को 8 - 0 से हरा दिया इस जीत ने उन्हें प्री क्वार्टर फाइनल में पहुचा दिया जहां उन्होंने जिंद यूनिवर्सिटी हरियाणा के प्रमोद कुमार को 2 - 10 के आधार पर हराते हुए क्वार्टर फाइनल में अपना दावा पेश किया।  सन्नी के जीत का सिलसिला यहां भी बरकरार रहा जहां उन्होंने क्वार्टर फाइनल के अहम मुकाबले में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के अंश कुमार को 7 - 0 से पराजित कर सेमीफाइनल में पहुच गए अगले मुकाबले में भी उन्होंने अच्छी कुश्ती खेल का प्रदर्शन करते हुए कोल्हापुर यूनिवर्सिटी महाराष्ट्र के संतोष संजय कुमार को 8 - 0 से पराजित करते हुए फाइनल में अपना स्थान पक्का किया हालांकि फाइनल में उनका जीत का सिलसिला टूट गया व काफि कशमकश मुकाबले में सन्नी जाधव पंजाब पटियाला यूनिवर्सिटी के विकास कुमार से बहुत ही नजदीकी अंतर 16 - 12 अंकों से पराजित हो गए जहां उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा